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Written By
Sonia Jadhav
ताउम्र हम जिन रिश्तों के भ्र्म में उलझे रहे उन्होंने हमारे शव का पूरा जलने का इंतज़ार भी नहीं किया और अपने-अपने घरों को लौट गए। ना जाने मरने के बाद ही क्यों सत्य मुखरित होता है, पहले नहीं?
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December 20, 2020
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