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शकुन्तला शर्मा ।
दिल तो एक आयना है कांच का । टुट जाने पर बिखर ही जाता है ॥ टुकड़े जों गिर जाये चूर चूर होकर ' । इन टुकड़ो को फिर समेटता नही जाता ॥ जमाना कहता है बिन्दास हो " शकुन " तुम । पर जख्मों का हिसाब लगाया नही जाता है ॥
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January 4, 2022
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