Written By शकुन्तला शर्मा ॥
बडी ही अदब से हमने सिर अपना झुका दिया । तकदीर से हारे और वक्त को दोषी बना दिया ॥ कहने को जमाने में सभी अपने ही नजर आते थे। मुश्किलो ने सभी के चेहरो से नाकाब हटा दिया ॥ गुरूर किस बात का करे यहां सभी मिटने वाले है । किसी को दफन तो किसी को राख में मिला दिया ॥ अजीब जमाने की फितरत देखी है "शकुन " हमने । हर इंसान को लालच ने धौलत का पुजारी बना दिया॥Download
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