Written By शकुन्तला शर्मा ।
मे नही जानती कि दर्द यह सीने में कैसा है। मेरे दर्द की दवा नही कर सके वो हकीम फिर कैसा है हजारो गमों को समेटकर मैंने तन्हाईयां खरीदी है। दुआ को जो ना सुन सका ' 'वो खुदा फिर कैसा है ॥ मैने मांगा था साथ ' 'बस तेरा हर बार खुदा से । तेरे दर से खाली लौट गया "फिर वह फकीर कैसा है ॥ जो खुदा से मेरी मुराद पूरी नही हो पाई कभी " शकुन" जो पुकार ना सुने दर्द की वो दिलदार फिर कैसा है ॥Download
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